tag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post1337480432221356869..comments2024-03-14T08:13:22.119-07:00Comments on आम्रपाली: कुत्ता, मंदी....एक्सेक्ट्रा...!sushant jhahttp://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-41754431692922756792009-04-04T01:27:00.000-07:002009-04-04T01:27:00.000-07:00आपके इस कुत्ता कथा से मुझे एक कविता की पंक्ति याद ...आपके इस कुत्ता कथा से मुझे एक कविता की पंक्ति याद आ गयी जो मैंने वाह वाह में सुनी थी ..<BR/>ये पूछा दिल्ली के कुत्ते से गाँव का कुत्ता सीखी से कहाँ अदा तुने दुम दबाने की <BR/>ये सुन बोला दिल्ली का कुत्ता, दुम दबाने को बुजदिली मत समझ जगह कहाँ है यहाँ दुम तलक हिलाने की ...मृत्युंजयhttps://www.blogger.com/profile/13332752417247603894noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-50495405068402063872009-04-02T13:23:00.000-07:002009-04-02T13:23:00.000-07:00blog padh kar mazaa aagaya ....aur yeh sochne par ...blog padh kar mazaa aagaya ....aur yeh sochne par majbur kar gaya ki Varansi k kutto ki kya khasiyat hogi ....aakhir jab JNU Walo ko Marks ki theory yaAd hai ..toh yaha waaley toh jack of all trades hongey naa...:-))Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-79912686287610395922009-03-26T06:31:00.000-07:002009-03-26T06:31:00.000-07:00Kya khub likha hai..badhai !!_____________________...Kya khub likha hai..badhai !!<BR/>___________________________<BR/>गणेश शंकर ‘विद्यार्थी‘ की पुण्य तिथि पर मेरा आलेख ''शब्द सृजन की ओर'' पर पढें - गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ का अद्भुत ‘प्रताप’ , और अपनी राय से अवगत कराएँ !!KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-28730618451931102972009-03-08T18:57:00.000-07:002009-03-08T18:57:00.000-07:00bahut khoob!!!bahut khoob!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-78133146550276922392009-03-03T05:59:00.000-08:002009-03-03T05:59:00.000-08:00bahoot badhiyabahoot badhiyaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-63807418780142342592009-03-03T00:27:00.000-08:002009-03-03T00:27:00.000-08:00शानदार कुत्ता पुराण..। हे सू(शां)त जी. अब संभवतः आ...शानदार कुत्ता पुराण..। हे सू(शां)त जी. अब संभवतः आपने ये भी ध्यान दिया होगा कि कुलीन नस्लों की जितनी पहचान कुत्तों के मामले में रह गई है उतनी तुच्छ मानवों में रही नहीं। मानव अब संकर नस्लों को ज्यादा महत्वपूर्ण मानकर विजातीय विवाह को अच्छा मानने लगे है। वैसे भी अपने यहां पाश्चात्य परंपराओं, और किस्सों, और लोगों और साहित्य और फिल्मों और विचारधारा के साथ कुत्तों को ज्यादा अहमियत मिलती है। पता नहीं देसी कुत्तों को विदेशों में कितनी अहमियत मिलता है। इस पर भी कुछ उचारें.. वैसे कुछ मामलों में इंसान कुत्तों को फॉलो करने लगे हैं कुछ मामलों में कुत्तागीरी को खराब मानने लगे हैं। मसलन, वफा को खराब मानकर टांग उठा कर मूतना उत्तम माना जाने लगा है।Manjit Thakurhttps://www.blogger.com/profile/09765421125256479319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-86173758490112942082009-02-27T22:06:00.000-08:002009-02-27T22:06:00.000-08:00कुत्ता महामात्य पढ़कर आनंद की प्राप्ति हुई और गुरु...कुत्ता महामात्य पढ़कर आनंद की प्राप्ति हुई और गुरुदेव यह भी बताने का कष्ट करें कि कुत्तों की भोंकने की दशा और दिशा भी क्या ब्रांड से बदल जाती है...।<BR/><BR/>शुक्रिया।Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-89723168390351958862009-02-23T09:10:00.000-08:002009-02-23T09:10:00.000-08:00वाह भाई वाह बहुत खूब लिखा यार ...मजा आ गया ...वैसे...वाह भाई वाह बहुत खूब लिखा यार ...मजा आ गया ...वैसे मैं भी कुछ समय पहले कटवारिया सराय में रह चुका हूँ ...<BR/><BR/><A HREF="http://www.meraapnajahaan.blogspot.com/" REL="nofollow">मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति </A>अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-1723060281164629572009-02-23T07:56:00.000-08:002009-02-23T07:56:00.000-08:00बड़े शहर ‘कुत्तों’ के लिहाज से ज्यादा मुफीद नहीं ह...<B> बड़े शहर ‘कुत्तों’ के लिहाज से ज्यादा मुफीद नहीं हैं। यहां उनके लिए लोकतंत्र नहीं है। यहां ‘कुत्तें’ नहीं रह सकते, अलबत्ता ‘भेड़ियों’ के लिए ये जगह काफी सही है।</B><BR/>भाई सुजीत जी आपने तो कुत्तो के बहाने एक विद्रूप सच को सामने ला दिया. वैसे कटवारिया में कुत्ते तो सीढियों पर भी दिख जाते है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03569238157611187724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-84780923350148260122009-02-23T07:22:00.000-08:002009-02-23T07:22:00.000-08:00सॉरी दादा....मेरा रूम, मेरा कंप्यूटर, कुर्सी भी मे...सॉरी दादा....मेरा रूम, मेरा कंप्यूटर, कुर्सी भी मेरी, जिस निकर पहन कर इस ब्लॉग को आपने लिखा है..वो भी मेरी। और मेरी ही पैंट उतार रहे हैं। कहां की शादी और कैसा दहेज़....एक बात और अब आप के लिए जल्दी से नई नौकरी ख़ोजता हूं...।Rajiv K Mishrahttps://www.blogger.com/profile/09974292687973179356noreply@blogger.com