tag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post8182820114177873676..comments2024-03-14T08:13:22.119-07:00Comments on आम्रपाली: कोसी (पुल) कथा-4sushant jhahttp://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-65387278336977186532012-02-18T05:57:15.938-08:002012-02-18T05:57:15.938-08:00तुम्हारा लेख एक किताब की पृष्ठभूमि बन रहा है। एक छ...तुम्हारा लेख एक किताब की पृष्ठभूमि बन रहा है। एक छोटी किताब तो हो ही गई है। राजनीतिक कोण की चर्चा भी तुमने कर ही दी है। पलाश के जंगल फुलपरास में होंगे ही..क्योंकि दक्षिणी बिहार जो अब झारखंड है वहां पलाश के जंगल अब भी हैं। मैथिल ब्राह्मणों में यज्ञोपवीत के दौरान पलाश दंड हाथ में रखे रहने की प्रथा है...शायद एक लिंक तो है ही।Manjit Thakurhttps://www.blogger.com/profile/09765421125256479319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-43711575670076582052012-02-05T21:55:26.536-08:002012-02-05T21:55:26.536-08:00फटाफट पोस्ट पढ़ी, कोसी शब्द पढ़ते ही। पोस्ट के जरि...फटाफट पोस्ट पढ़ी, कोसी शब्द पढ़ते ही। पोस्ट के जरिए राजनीति भी समझी, जो जरुरी है। लेकिन जहां मैं सबसे करीब होता गया, सुशांत भाई, वह यह पंक्ति है- मैं पुल की तरफ जाते हुए एक-एक गांव के बारे में जानना चाहता था जो नदियों की अठखेलियों के शिकार हो गए थे...Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.com