tag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post2672427043156285059..comments2024-03-14T08:13:22.119-07:00Comments on आम्रपाली: हिंदी को गाय और ब्राह्मण की तरह पवित्र मत बनाईयेsushant jhahttp://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-79524271441489890142009-11-16T21:20:07.226-08:002009-11-16T21:20:07.226-08:00गाय गंगा और ब्राह्मण ही अब कहाँ पवित्र रह गये हैं ...गाय गंगा और ब्राह्मण ही अब कहाँ पवित्र रह गये हैं । भाषा तो अपने स्वरूप में मूलत: पवित्र ही होती है , सवाल शुद्धता या अशुद्धता का होना चाहिये । इसका यह रूप तो परिवर्तंशील ही होता है , आज से 100 साल बाद की हिन्दी की कल्पना करें ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-43994177742373847992009-11-16T16:20:49.922-08:002009-11-16T16:20:49.922-08:00उपरोक्त सभी आदरणीय जनों से मैं कहना चाहूंगा कि हमा...उपरोक्त सभी आदरणीय जनों से मैं कहना चाहूंगा कि हमारी हिन्दी जिसका वजूद १००-२०० साल का है और इसकी उत्पत्ति भी उर्दू की तरह हुई, लेकिन चलिये कोई बात नही अग्रेजी का भी इतिहास उज्ज्वल नही रहा किन्तु उन्होने इसे पूरी दुनिया की भाषा बना डाली पर हम क्यो नही ऐसा कर पाये, क्योकि हमने हिन्दी में कविता-कहानी और अब ब्लाग.... के अलावा कुछ लिखने की कोशिश ही नही की या लिख ही नही पाये..........चलो कुछ इतिहास भूगोल और विज्ञान लिखा जाय मगर अबकी बार अंग्रेजी की किताबों की नकल न करके,<br />शायद कुछ बेहतर हो जाये। पहले भाषा संमृद्ध करे लोग खुद आकर पढ़ने लगेंगे, यकीन मानिये फ़िर हमें गोष्ठिया, वगैरह और ब्लाग पर चिल्लाने की जरूरत नही पड़ेगी।KK Mishra of Manhanhttps://www.blogger.com/profile/11115470425475640222noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-39002451929410152582009-11-16T16:12:15.527-08:002009-11-16T16:12:15.527-08:00हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाकर थोपने से पहले सरकार क...हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाकर थोपने से पहले सरकार को इसे समृद्ध बनाना चाहिये था, भैया हम उत्तर भारत वाले तो इस हिन्दी के विकास के चक्कर में अपनी अवधी और ब्रज़ भाषा को खा गये, जिसमें दुनिया का बेहतरीन काव्य गढ़ा गया है।KK Mishra of Manhanhttps://www.blogger.com/profile/11115470425475640222noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-56818419090640640842009-11-16T09:51:51.884-08:002009-11-16T09:51:51.884-08:00मैं अनुनादजी से सहमत हूँ , और आपकी अभद्र भाषा को ज...मैं अनुनादजी से सहमत हूँ , और आपकी अभद्र भाषा को जानकर दुखी हूँ | आदमी को अपनी आलोचनाओं के लिए भी जगह देनी चाहिए | पूरा किया कराया पर खुद ही पानी फेंर दिया |Sachihttps://www.blogger.com/profile/04099227991727297022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-69775509999326488052009-11-16T00:10:51.892-08:002009-11-16T00:10:51.892-08:00सही कह रहे हैं आप! पवित्रता तो वाहियात चीज है, अपव...सही कह रहे हैं आप! पवित्रता तो वाहियात चीज है, अपवित्र ही रहना चाहिये। इन पवित्रतावादियों ने तो कबाड़ा ही कर दिया नहीं तो आज भी स्कूलों में गांधी वाली हिन्दुस्तानी में "साहब राम" और "बेगम सीता" पढ़ाया जाया करता। कितना सरल होता यह सबके लिये और आपके अनुसार भाषा का झगड़ा भी खत्म हो गया होता।<br /><br />हिन्दी भाषा की भी कोई औकात है? जो भी चाहे दो लात मार दे इसे। गांधी इस भाषा पर उर्दू का वर्चस्व चाहते थे और टीवी, सिनेमा और मीडिया वाले इस पर अंग्रेजी का वर्चस्व चाहते हैं। हिन्दी भाषा के पास अपना शब्दभंडार तो है ही नहीं। तो बिना उर्दू, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के शब्दों को लिये बिना उसका काम कैसे चलेगा?<br /><br />बहुत अच्छा किया आपने इस लेख के द्वारा पवित्रतावादियों को उनकी औकात बताकर!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-50434585324414823952009-11-15T22:58:15.383-08:002009-11-15T22:58:15.383-08:00अनुनाद जी, आमीन! आपको तर्कशिरोमणि की उपाधि अभी तक ...अनुनाद जी, आमीन! आपको तर्कशिरोमणि की उपाधि अभी तक क्यों नहीं दी गई-यहीं ताज्जुब है। लेकिन आपकी टिप्पणी पर जवाब देकर मैं अपना वक्त क्यों बर्बाद कर रहा हूं?sushant jhahttps://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-44083645902628035332009-11-15T22:27:27.908-08:002009-11-15T22:27:27.908-08:00हमारी समस्या यह है कि हम भाषा और जानवर को धर्म और ...हमारी समस्या यह है कि हम भाषा और जानवर को धर्म और आस्था से जोड़कर देखते हैं। यह गलत है।Anshu Mali Rastogihttps://www.blogger.com/profile/01648704780724449862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-75033493860422053602009-11-15T22:24:07.590-08:002009-11-15T22:24:07.590-08:00आपका विश्लेषण अत्यन्त तर्कहीन है।
हिन्दी की दुर्...आपका विश्लेषण अत्यन्त तर्कहीन है। <br /><br />हिन्दी की दुर्दशा (यदि है) तो वह है कि भारत में अंग्रेजी अघोषित रूप से अनिवार्य है (नौकरी आदि के लिये) । इसके बारे में कुछ अन्य कारण देना ऐसे ही है जैसे मंगल ग्रह का आदमी हिन्दी के बारे में अपनी राय दे रहा हो।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-7247600359170464432009-11-15T21:56:19.122-08:002009-11-15T21:56:19.122-08:00बात तो आपने बिल्कुल सही कहा , सहमत हूँ।बात तो आपने बिल्कुल सही कहा , सहमत हूँ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.com