tag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post2965855778625351030..comments2024-03-14T08:13:22.119-07:00Comments on आम्रपाली: मंहगाई पर बोलना गुनाह है।sushant jhahttp://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-9236846761151700712009-11-30T23:55:33.554-08:002009-11-30T23:55:33.554-08:00चलिए किसी को तो मंहगाई की सुध आई.. टमाटर, प्याज खा...चलिए किसी को तो मंहगाई की सुध आई.. टमाटर, प्याज खाना मेरे डॉक्टर ने मना कर दिया है पहले ही मुझे..२ महीने पहले ही अरहर की दाल खाने से भी रुसवा कर दिया था। डॉक्टर कहती है, खरीदारी करने भी मत जाया करो.. तुम नाजुक बदन हो, दिल के मरीज हृदयागात हो सकता है। सोच रहा हूं, करुं तो करुं क्या, नीली पगड़ी वाले मेरी तो सुनेंगे नहीं.. न मनमोहन ना मोंटेक.. बचे प्रणब बाबू.. वह आदमी के करीब थे ही कब? मन्नू भाई रिलायंस और मित्तल से आगे सोचेंगे तब न। विरोध करने उतरने से भी मना कर चुके भाजपाई आपस में ही सिरफुटौव्वल में मशगूल हैं... विपक्ष की गैरमौजूदगी अब अखर रही है। आम आदमी के लिए यही सही है, सालों... तुम हो ही चू--- बनाने लायक।Manjit Thakurhttps://www.blogger.com/profile/09765421125256479319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-18628566167143549872009-11-29T09:08:17.425-08:002009-11-29T09:08:17.425-08:00ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा
मैं सजद...ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा<br />मैं सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगाDudhwa Livehttps://www.blogger.com/profile/13090138404399697848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-11564550058098742132009-11-28T00:09:01.899-08:002009-11-28T00:09:01.899-08:00इन्ही बिगड़े दिमागों में घनी खुशियों के लच्छें हैं ...इन्ही बिगड़े दिमागों में घनी खुशियों के लच्छें हैं हमें पागल ही रहने दो हम पागल ही अच्छे हैKK Mishra of Manhanhttps://www.blogger.com/profile/11115470425475640222noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-84674416026888510812009-11-24T09:09:17.256-08:002009-11-24T09:09:17.256-08:00उम्दा बात कही आप नेउम्दा बात कही आप नेKK Mishra of Manhanhttps://www.blogger.com/profile/11115470425475640222noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-53796390092321228202009-11-23T03:48:13.833-08:002009-11-23T03:48:13.833-08:00अगर वाजिब बात कहने पर पागल समझा जाये तो पागल कहलान...अगर वाजिब बात कहने पर पागल समझा जाये तो पागल कहलाना ही अच्छा. नहीं क्या?Pratibha Katiyarhttps://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6167611887407732252.post-37072318396027773332009-11-22T08:25:05.961-08:002009-11-22T08:25:05.961-08:00मीडिया और मीडियाकर्मियों को लेकर तमाम बातें हो रही...मीडिया और मीडियाकर्मियों को लेकर तमाम बातें हो रही हैं, पर पहली बात तो यह है कि मीडियाकर्मी भी पूंजीपतियों के कर्मचारी हैं और बाकी किसी उद्योग की तरह यहां भी अपना हक उन्हें लड़कर हासिल करना होगा और यह लड़ाई संगठित होकर ही लड़ी जा सकती है। मीडियाकर्मियों के पुराने संगठन अन्य ट्रेड यूनियनों की तरह अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं या दलाल की भूमिका में आ गए हैं। साथ ही मोटी कमाई करने वाले मीडियाकर्मी भी हैं जिनका हित मालिक के हित के साथ नत्थी है और वे आम मीडियाकर्मी के पक्ष में उतना नहीं हैं जितना कि मालिक के। मीडिया वाले दूसरों को उनके अधिकार क्या दिलाएंगे जब उनके स्वयं के अधिकार कुछ नहीं हैं। सबसे पहले तो उन्हें अपने अधिकार हासिल करने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। इसके अलावा कोई तरीका नहीं है।जय पुष्पhttps://www.blogger.com/profile/01821339425026535625noreply@blogger.com