मोदी सरकार के एक साल पर मैं उसे 10 में कम से कम 6 नंबर देता हूं। इस पर निम्नलिखित रूप से बिंदुवार चर्चा की गई है-
1. मेरी नजर में सबसे बड़ा काम था योजना आयोग को भंग करना और वित्त आयोग की सिफारिश मानकर राज्यों को ज्यादा पैसा देना। एक 67 साल के कथित रूप से बुजुर्ग हो चुके लोकतंत्र को अब अपने राज्यों पर भरोसा करना ही चाहिए। केंद्रीकृत व्यवस्था ने हमारे बचपन तक सिर्फ चार शहर पैदा किए थे। इसका असर आनेवाले सालों-दशकों में पता चलेगा जब एक बिहारी मुख्यमंत्री अपने हिसाब से पेयजल या गरीबों के लिए हाउसिंग स्कीम चला पाएगा। साथ ही सरकार अलग-अलग शहरों के विकास पर जोर दे रही है। हां, नाम रखने में कांग्रेसी ज्यादा माहिर थे-बीजेपी वाले अंग्रेजीदां नाम रखकर(जैसे स्मार्ट सिटी!) गरीबों को भयांक्रांत कर देते हैं।
2. विदेश नीति सही पटरी पर है-बहुत लोगों को इंदिरा गांधी की याद आ रही है। बहुत दिनों के बाद भारत अपने पड़ोसियों के साथ ठीक से पेश आ रहा है।
3. कम से कम आंकड़ों में अर्थव्यवस्था बेहतर लगती है। तेल मेहरवान रहा और प्रकृति बहुत बाद में नाराज हुई। सरकार ने कौशल विकास और विनिर्माण पर जोर दिया है। हालांकि जमीन पर उसे उतारने में समय लगेगा-लेकिन माहौल ऐसे ही बनाया जाता है।
4. भारत, आपदा के समय तारणहार बनकर उभरा है। कश्मीर, मालदीव, यमन और अब नेपाल के समय भारत ने इसका लोहा मनवाया है। हालांकि यह पिछले कई दशकों की मेहनत का नतीजा है लेकिन सेहरा तो दूल्हे के ही सिर बंधता है!
5. पिछले साल भर में घोटाले नहीं दिखे हैं।(!) आज के जमाने में यह कामयाबी वैसी ही है जैसे कोई बदमाश लड़का अपने कॉलेज में सबसे सुंदर कन्या को पटा ले!
6. जैसे कि उम्मीद थी, मोदी सरकार ने उस स्तर पर शिक्षा का भगवाकरण नहीं किया है-जैसा किसी संघी सरकार को करना चाहिए था। अभी भी बहुत सारे वामपंथी शिक्षा जगत में जमे हुए हैं या कई कमेटियों में फिर से बनाए गए हैं। उस हिसाब से यह इस सरकार का संतुलित कृत्य माना जाएगा।
7. देश में आंतरिक कानून व्यवस्था बहुत खराब नहीं है। आतंकियों द्वारा किए गए बम धमाके या नक्सली हमले काबू में हैं। लगता है उनके पैसों पर भी लगाम लगा है।
8. सरकार हार्ड बुनियादी ढ़ांचे पर आक्रामक दिखती है। सड़क और रेलवे सही हाथों में है। हालांकि हवाईजहाज वैसे ही बीमार है। लेकिन सॉफ्ट बुनियादी ढ़ाचे(शिक्षा, स्वास्थ्य आदि) पर सवाल बने हुए हैं। इसीलिए मैंने सरकार के चार नंबर काट लिए हैं।
9. सरकार की विधायी गतिविधियां भी तेज है। संसद में इतने कानून शायद ही कभी पारित हुए हों। उस हिसाब से राज्यसभा में अल्पमत में भी रहकर सरकार का फ्लोर मनेजमेंट बेहतर माना जाएगा।
10. सबसे बड़ी बात ये कि सरकार लोकलुभावनकारी कामों से बच रही है जो कांग्रेसियों की सबसे बड़ी आदत थी।
1. मेरी नजर में सबसे बड़ा काम था योजना आयोग को भंग करना और वित्त आयोग की सिफारिश मानकर राज्यों को ज्यादा पैसा देना। एक 67 साल के कथित रूप से बुजुर्ग हो चुके लोकतंत्र को अब अपने राज्यों पर भरोसा करना ही चाहिए। केंद्रीकृत व्यवस्था ने हमारे बचपन तक सिर्फ चार शहर पैदा किए थे। इसका असर आनेवाले सालों-दशकों में पता चलेगा जब एक बिहारी मुख्यमंत्री अपने हिसाब से पेयजल या गरीबों के लिए हाउसिंग स्कीम चला पाएगा। साथ ही सरकार अलग-अलग शहरों के विकास पर जोर दे रही है। हां, नाम रखने में कांग्रेसी ज्यादा माहिर थे-बीजेपी वाले अंग्रेजीदां नाम रखकर(जैसे स्मार्ट सिटी!) गरीबों को भयांक्रांत कर देते हैं।
2. विदेश नीति सही पटरी पर है-बहुत लोगों को इंदिरा गांधी की याद आ रही है। बहुत दिनों के बाद भारत अपने पड़ोसियों के साथ ठीक से पेश आ रहा है।
3. कम से कम आंकड़ों में अर्थव्यवस्था बेहतर लगती है। तेल मेहरवान रहा और प्रकृति बहुत बाद में नाराज हुई। सरकार ने कौशल विकास और विनिर्माण पर जोर दिया है। हालांकि जमीन पर उसे उतारने में समय लगेगा-लेकिन माहौल ऐसे ही बनाया जाता है।
4. भारत, आपदा के समय तारणहार बनकर उभरा है। कश्मीर, मालदीव, यमन और अब नेपाल के समय भारत ने इसका लोहा मनवाया है। हालांकि यह पिछले कई दशकों की मेहनत का नतीजा है लेकिन सेहरा तो दूल्हे के ही सिर बंधता है!
5. पिछले साल भर में घोटाले नहीं दिखे हैं।(!) आज के जमाने में यह कामयाबी वैसी ही है जैसे कोई बदमाश लड़का अपने कॉलेज में सबसे सुंदर कन्या को पटा ले!
6. जैसे कि उम्मीद थी, मोदी सरकार ने उस स्तर पर शिक्षा का भगवाकरण नहीं किया है-जैसा किसी संघी सरकार को करना चाहिए था। अभी भी बहुत सारे वामपंथी शिक्षा जगत में जमे हुए हैं या कई कमेटियों में फिर से बनाए गए हैं। उस हिसाब से यह इस सरकार का संतुलित कृत्य माना जाएगा।
7. देश में आंतरिक कानून व्यवस्था बहुत खराब नहीं है। आतंकियों द्वारा किए गए बम धमाके या नक्सली हमले काबू में हैं। लगता है उनके पैसों पर भी लगाम लगा है।
8. सरकार हार्ड बुनियादी ढ़ांचे पर आक्रामक दिखती है। सड़क और रेलवे सही हाथों में है। हालांकि हवाईजहाज वैसे ही बीमार है। लेकिन सॉफ्ट बुनियादी ढ़ाचे(शिक्षा, स्वास्थ्य आदि) पर सवाल बने हुए हैं। इसीलिए मैंने सरकार के चार नंबर काट लिए हैं।
9. सरकार की विधायी गतिविधियां भी तेज है। संसद में इतने कानून शायद ही कभी पारित हुए हों। उस हिसाब से राज्यसभा में अल्पमत में भी रहकर सरकार का फ्लोर मनेजमेंट बेहतर माना जाएगा।
10. सबसे बड़ी बात ये कि सरकार लोकलुभावनकारी कामों से बच रही है जो कांग्रेसियों की सबसे बड़ी आदत थी।