Monday, August 30, 2010

यूपीएससी परीक्षा में धांधली का आरोप

हाल ही में जब एमसीआई का चेयरमैन 2 करोड़ रुपया घूस लेते हुए पकड़ा गया था तो लोगों ने उसे पहली ऐसी घटना माना था जिसमें कोई इतना बड़ा अधिकारी सरेआम घूस लेते पकड़ाया हो। यूं, कईयों ने उसे सुखराम कांड से तुलना करने की भी कोशिश की थी। लेकिन हाल ही में यूपीएससी पर जो घोटाले के आरोप लगे हैं वे इससे कहीं बड़े घोटाले को अंजाम दे सकते हैं। क्योंकि यूपीएससी ऐसा संस्थान है जो देश पर हुकूमत करने वाले नौकरशाहों को चुनता है। अगर यहां पर घोटाले की बात साबित हो जाती है तो वाकई एक एक सीट की बोली 5 या 10 करोड़ो में लगी होगी।

भारत के इतिहास में अभी तक यूपीएससी को गाय, गंगा और ब्राह्मण की तरह पवित्र माना जाता रहा है! यूं, राज्यों में लोकसेवा आयोगों को लोग दशकों से घोटाला करते देख रहे हैं और बिहार और पंजाब जैसे राज्यों में तो इसके चेयरमैन तक जेल रहे हैं। रेलवे बोर्ड की भी यहीं हालत है। कुल मिलाकर हिंदुस्तान में कोई ऐसा सरकारी विभाग नहीं बचा जहां पैसा लेकर नौकरी न बांटी जाती हो। हां, इसके प्रतिशत में फर्क हो सकता है कि कितने सीट जेनुइन चुने गए और कितने पैसे लेकर। लेकिन अभी तक यूपीएससी पर कोई खुलेआम आरोप नहीं लगा था। एक बार यूपीएससी के प्रश्नपत्रों को लेकर सवाल जरुर उठा था जिसमें रांची के एक प्रेस से संबंधित कई लोगों ने यूपीएससी इक्जाम में कामयाबी पा ली थी। लेकिन उसके बाद से प्रश्नपत्रों की छपाई का काम अमेरिका भेज दिया गया।

इस बार यूपीएससी के उम्मीदवारों ने आरोप लगाया है कि पीटी की परीक्षा में भारी पैमाने पर धांधली हुई है। यूपीएससी ने घोषणा की थी कि वो पीटी में करीब 18,000 रिजल्ट देगा जो इसबार रिक्तियों की भारी संख्या को देखते हुए लाजिमी भी था। लेकिन यूपीएससी ने रिजल्ट दिए सिर्फ 12,000. यूपीएससी ने इसकी कोई वजह नहीं बताई और न ही आरटीआई के तहत वो इसकी जानकारी देना चाहता है। लेकिन ऐसा करना यूपीएससी का कोई अपराध नहीं लगता। लेकिन आंखे तो तब खुली रह जाती है कि यूपीएससी मिनिमम कट ऑफ मार्क नहीं बताना चाहता। क्योंकि ऐसी खबरें है कि कुछ ऐसे लड़को को पीटी में पास घोषित कर दिया गया है जो इक्जाम में बैठे ही नहीं थे। दूसरी तरफ जिन लड़कों ने पिछले साल आईपीएस का इक्जाम पास कर लिया था वे इस बार पीटी में खेत रहे। हलांकि कई दफा ऐसा होता है, लेकिन अगर ऐसे तकरीबन 100 से ज्यादा उम्मीदवारों के साथ हो जरुर घोटाले की गंध आती है। दूसरी तऱफ कुछ ऐसे लड़के हैं जिन्होंने जीएस में महज 20 सवाल बनाए थे उनका हो गया लेकिन 50 सवाल हल करने वाले खेत रहे।

कई छात्र इस बार के इक्जाम में क्षेत्रीय भेदभाव का आरोप भी लगा रहे हैं। हलांकि इसकी संभावना कम है। हिंदीभाषी इलाके के कई छात्रों का कहना है कि क्षेत्रविशेष के ज्यादातर उम्मीदवारों को पास करवा दिया गया है और हिंदी इलाकों के छात्रों का नाम काट दिया गया है।

यूपीएसी उम्मीदवारों ने इसके लिए यूपीएससी कार्यालय के सामने धरना दिया और जंतर-मंतर पर भी वे धरना दे चुके हैं। लेकिन उनकी आवाज को सुनने को कोई तैयार नहीं है। आश्चर्यजनक बात ये है कि मीडिया का एक बड़ा तबका उनकी बातों को सुनने को तैयार नहीं है। हिंदी मीडिया में तो फिर भी उनके बारे में कुछ न कुछ छपा है लेकिन अंग्रेजी मीडिया ने इस तरफ से बिल्कुल अपनी आंख मूंद ली है। यूपीएससी को ये गुरुर है कि सांविधानिक संस्था होने के नाते कोई उस पर सवाल उठा ही नहीं सकता। उम्मीदवारों को अब आशा की एक ही किरण दिखाई देती है और वो है सुप्रीम कोर्ट। अपनी तरफ से उन्होंने सोशल मीडिया पर भी इसके लिए कई तरह के लेख लिखे हैं। लेकिन कई उम्मीदवार खुलकर आना नहीं चाहते, उन्हें भय है कि आनेवाले सालों में भी यूपीएससी के आका उन्हे ब्लैकलिस्ट न कर दे।

1 comment:

honesty project democracy said...

व्यवस्था सड़ चुकी है और इसके लिए दोषी सिर्फ और सिर्फ हमारे देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे सम्माननीय ,निगरानी तथा कार्यवाही करने वाले पदों पड़ अयोग्य और निकम्मे लोगों का बैठा होना है | हमसब को मिलकर निडरता से इनके खिलाप आवाज उठाने की जरूरत है ...संवेधानिक पद महत्वपूर्ण है ना की उस पर बैठा अयोग्य और भ्रष्ट व्यक्ति ...आपसे आग्रह है की श्री हरी प्रसाद जैसे इमानदार देशभक्त के समर्थन में भी एक पोस्ट जरूर लिखिए ,हमने लिखा है पढ़िए इस ब्लॉग पर --

http://gantantradusrupaiyaekdin.blogspot.com/