Saturday, February 7, 2015

दिल्ली चुनाव: जीत सकती है बीजेपी!

पिछले साल विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 33 फीसदी वोट मिले थे और आप को 29.5 फीसदी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट 13 फीसदी बढ गया, उसे 46 फीसदी मिला और आपको 33 फीसदी। यानी थोड़ा आप का भी बढा। कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ। उसे विधानसभा में 24.5 फीसदी वोट मिला था जो लोकसभा के वक्त गिरकर करीब 15 फीसदी रह गया। 
लोकसभा चुनाव में मोदी को जिताने और मनमोहन को हराने के लिए वोट हुआ था। यानी 46 फीसदी वोट बीजेपी को इन्ही दो महान कार्यों के लिए मिले थे। लेकिन इस चुनाव में न तो मनमोहन जैसा अलोकप्रिय विरोधी सामने था और न ही मोदी जैसा करिश्माई सामने था। यानी बीजेपी को उन बहुत सारे लोगों का वोट नहीं मिला होगा जिन्होंने "मोदी बनाओ-कांग्रेस हटाओ" प्रोजेक्ट के तहत उसे वोट दिया होगा। मान लिया जाए कि उस बढे हुए 13 फीसदी में से आधे ने यानी करीब 6.5 फीसदी ने भी उदासीनता दिखाई हो तो बीजेपी घटकर 39.5 फीसदी पर आ जाएगी। लेकिन वो 6.5 फीसदी जाएगा कहां? कांग्रेस में कदापि नहीं। यानी वो "आप" को मिलेगा। यानी "आप" का वोट बढकर 33+6.5= 39.5 फीसदी हो जाएगा।

लेकिन अभी ठहरिये। आप को और फायदा होना है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 फीसदी वोट मिले थे जिसमें बहुत सारे अल्पसंख्यकों के थे और मध्यमवर्ग व कुछ दलितों के भी रहे होंगे। इस बार कांग्रेस की जो हालत है उसका वोट सत्यनारायण पूजा के प्रसाद की तरह बंट गया होगा। मान लें कि उस 15 फीसदी में करीब 7 फीसदी वोट खांटी अल्पसंख्यकों के थे, तो तय मानिए कि उसमें से 5 फीसदी तो इस बार आप में चले गए होंगे। यानी "आप" हो जाती है बढकर 39.5+5=44.5 फीसदी। 

लेकिन ठहरिए, यहां आप में से अब कुछ वोट माइनस कीजिए। आप ने जिस तरह से गरीबों और अल्पसंख्यकों का जमावड़ा किया है-वो कुछ मध्यमवर्गीय वोटरों को बैचेन कर रहा है जिसने पिछली बार उसे विधानसभा व लोकसभा में वोट कर दिया था। यहां पर ऐसे वोटर करीब 3-4 फीसदी होंगे। ज्यादा हुए तो आप को भारी झटका लगेगा। शाही इमाम ने भी कम से कम 1 फीसदी वोटरों को हिलाया-डुलाया होगा। यानी आप के इस 44 फीसदी में से 4 फीसदी घटा दीजिए। कुल मिलाकर आप की फाइनल टैली 40 फीसदी वोट के आसपास है।
लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस से कुछ मध्यमवर्गीय हिंदू और दिल्ली का दलित वोट बीजेपी में भी गया होगा(दिल्ली में हिंदू-मुस्लिम दंगा दरअसल दलित-मुस्मिल दंगा था)। कांग्रेस के पतन की मलाई सिर्फ आप नहीं खाएगी। यानी अगर हम मान लें कि इस बार कांग्रेस को 15 की जगह महज 8-10 फीसदी वोट मिले तो 2-3 फीसदी मध्यमवर्गीय हिंदू वोट बीजेपी में जाएगा। यानी बीजेपी हो जाएगी 43 फीसदी। यहां पर थोड़ा सा और दलित वोट बैंक बीजेपी को भारी कर देता है जैसा कि अनुमान है। 
5.इस अनुमान से बीजेपी करीब 44-45 वोट पर बैठी है और आप 40 फीसदी पर। दोनों के बीच 5 फीसदी की भारी खाई है। ऐसे में बीजेपी चुनाव जीत जाएगी।
लेकिन प्वाइंट नंबर-2 में वर्णित भाजपा के 13 फीसदी वोट में से अगर "आप" 10 फीसदी खींच लेती है तो "आप" 43 फीसदी और बीजेपी 40 फीसदी पर चली आएगी।
लेकिन देखा गया है कि 10 फीसदी की निगेटिव वोटिंग अमूमन नहीं होती है-अगर होती है तो किसी पार्टी के खिलाफ जबर्दस्त गुस्से में होती है। यहां बीजेपी से ऐसा गुस्सा था नहीं। ऐसे में 8 फीसदी की निगेटिव वोटिंग दोनो के वोट को "टाई" कर देंगे।
8. यानी स्थिति जो दिख रही है उसमें या तो बीजेपी जीत जाएगी या दोनों दल की स्थिति बराबर हो जाएगी। "आप" के जीतने की स्थिति मुश्किल लग रही है।

2 comments:

Manjit Thakur said...

गमिथ सही है तुम्हारा। लेकिन हिसाब-किताब के बरअक्स मेरे पास सिर्फ एक तर्क है। 16 मई के बाद से जनता लगातार पोस्टरो में, कट-आउटों में, बिजली के खंभों पर, टीवी पर, देश में, विदेश में, अखबारों में खबरों पर और विज्ञापनों पर, और तो और रेडियो पर भी सिर्फ मोदी को देख-सुन-पढ़ रही है। खासकर, दिल्ली की जनता। यह ओवर-एक्सपोजर पहला पॉइंट है। दूसरा पॉइंट है, किरन बेदी के आने से पैदा हुआ भीतरघात। इससे बीजेपी के पक्ष में गणित का यह समीकरण कागज पर ही धरा रह जाएगा। मेरे खयाल से आम आदमी पार्टी को 37 या 38 सीट हासिल होगी। ...हां बीजेपी भी चाहती होगी ही कि केजरीवाल की मुट्ठी खुल ही जाए। शासन कर ही लें वह भी। फिर तो विकल्प भी नहीं बचेगा दिल्ली की जनता के पास।

sushant jha said...

मेरा पोस्ट सिर्फ एक प्वाइंट ऑफ व्यू है, जरूरी नहीं कि सत्य ही साबित हो। चुनाव इस तरह के अनुमानों को झुठलाने के लिए कुख्यात रहे हैं। जनमत को नापना गणित के वश की बात नहीं है-जैसा कि लोकसभा चुनाव के वक्त भी हुआ था। लेकिन मैंने परंपपरागत बुद्धि का इस्तेमाल किया है और जोखिम ही लिया है। तुम्हारी बातों में दम है। लेकिन जोखिम लेकर ही तो हम कुछ नया करते हैं!