Saturday, July 26, 2008

धमाकों से क्या होगा...हमने काफी कुछ झेला है..

अहमदावाद में दर्जन भर से ज्यादा धमाके की खबर आई है। मेरे ऑफिस में हंगामा मचा है, ऑउटपुट में हंगामा है। विजुअल का टोटा है, ओवी काम नहीं कर रहा। दूसरे चैनल से जुगाड़ हो रहा है और मैं एक गाना गुनगुना रहा रहा हूं। मेरी सहकर्मी निशा मुझे कहती है कि गाना अच्छा है लेकिन फिर वो चौंकती है कि यार हम गाना गा रहें है और देश में धमाके हो रहे हैं। हमारी संवेदना टीवी में काम करते-करते शून्य हो चली है। एक धमाके का मतलब है बड़ी खबर और हम मुद्दों का अभाव झेल रहे मीडियावालों के लिए कुछ देर मुफ्तखोरी का बहाना।

पिछले दो दिनों में बंगलोर और अब अहमदावाद में धमाकों का कुछ मतलब है? क्या ये उन्ही धमाकों की अंतहीन सिलसिला है जिससे हम पिछले दो दशकों से परेशान हं? मेरा एक दोस्त कहता है कि ये साले आतंकवादी धमाके करते-करते मर जाएंगे, मगर हिंदुस्तान का कुछ नहीं बिगड़ने वाला। एक दूसरा दोस्त है वो इसका पोलिटिकल एंगल निकालता है। वो कहता है ये धमाके बीजेपी शासित सूबों में हुए हैं और कांग्रेस की बदनामी को बचाने का प्रयास है। उसका इशारा है कि चुंकि कांग्रेस बैकफुट पर है इसलिए वो संसद में की गई घूसखोरी से मिली बदनामी से ध्यान बंटाने के लिए ये काम कर सकती है...और इसकी वजह ये है कि ये लो इन्टेंसिटी ब्लास्ट है। कांग्रेसी सिर्फ लोगों का ध्यान बंटाना चाहते हैं लोगों को मारना नहीं। ये राजनीतिक सोंच का तीखा ध्रुवीकरण है।

सवाल ये भी है कि क्या हम कभी इन धमाकों से निजात पा सकेंगे? मुल्क विरोधी ताकतों को इतने विशाल मुल्क में ऐसे मौके मिल ही जाते हैं और हम इंच-इंच पर पुलिस नहीं बिठा सकते। मेरी बात प्रो कलीम बहादुर से हुई। उनका कहना था हम अपने आप को सतर्क और चाक-चौबंद रखने के आलावा कुछ नहीं कर सकते। दुनिया की सबसे ताकतवर और सुविधासंपन्न अमरीकन पुलिस भी आंतकवाद से परेशान है। हां, हमें हर घड़ी उन विचारों की निंदा करनी होगी जिससे समाज में थोड़ा भी असंतोष फैलता है और किसी भी तुष्टीकरणा की इमानदारी से आलोचना करनी होगी। मौजूदा हालात में हम सिवाय अपनी सुरक्षा व्यावस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के कुछ भी नहीं कर सकते।

5 comments:

मिथिलेश श्रीवास्तव said...

कांग्रेस वाला एंगल कुछ सोचने पर मजबूर कर रहा है...

Unknown said...

मिथिलेश जी से सहमत, जयपुर, बंगलोर, अहमदाबाद और अब अगला नम्बर किसका होगा? इन्दौर, भोपाल या पुणे? अफ़जल गुरु को गोद लेने वाली कांग्रेस ने देश की *&%)*&^%*&^$# है

Vibha Rani said...

congress ho ya bjp ya terrorist. ek aam aadmi ko isase koi lena-dena nahin. vah bemaut mar raha hai in sabake biich. soche, us parivaar kii, jisake sadasy in sabki bali chadhate hain. kabhi apane-ap se isaki tulana karke dekhe ya khu ko is jagah par lakar dekhen.

कुश said...

wakai congress wali baat sochne par majboor kar rahi hai.. lekin vibha ji se sahmat aakhir nuksaan to aam aadmi ka hi ho raha hai..

Manjit Thakur said...

इन धमाको से मुस्लिम आतंकवादियों को कुछ हासिल नहीं होगा, बल्कि इससे देश में रह रहे अधिकतर मुसमानों के प्रति नफरत फैलाने मे बजरंगियों का आसानी होगी। उनके प्रति अविश्वास का माहौल और गहरा होगा।