पाकिस्तान ने कुछ आतंकी संगठनों पर कार्रवाई का नाटक किया है, और मसूद अजहर को सीमित रुप से नजरबंद कर दिया गया है। दूसरी तरफ जरदारी ने एक बयान में कहा कि भारत में आतंकी हमला पाकिस्तान में लोकतंत्र की जड़ कमजोर करेगा। जरदारी का ये बयां एक मजबूर और कमजोर लोकतांत्रिक नेता की दिखती है जो बहुत अर्थो में सच्चाई के करीब है।
पाकिस्तान चौतरफ दबाव में है, और असली दबाव है अमेरिका का दबाव। एक तरफ अमेरिका को ये डर सता रहा है कि कहीं भारत सीमा पर सेना न लगा दे-ऐसी सूरत में पाकिस्तान अपनी सीमा अफगान सीमा से हटा लेगा और अमेरिका की सेना वहां फंस जाएगी। और यहीं वजह है कि अमेरिका जी जान से दबाव डाल कर पाकिस्तान को कुछ कार्रवाई करते हुए देखना चाहता है। जरदारी की तो हालत और भी खराब है। अगर वो ज्यादा कार्रवाई करते हैं तो जनता और सेना बिगड़ जाएगी और वो खुद पैदल कर दिए जाएगें। दरअसल पाकिस्तान की दिक्कत बड़ी अजीब है। वो भारत के दबाव में कुछ नहीं करना चाहता, अमेरिका के दबाव को आराम से झेल लेगा। उसमें उसकी कोई बेइज्जती नहीं है, और दबाव को इंकार करने की कूब्बत भी नहीं है।
भारत में इधर चुनाव की वजह से पाकिस्तान पर दबाव वाली बात कुछ समय के लिए धीमी पड़ गई थी। लेकिन यूपीए सरकार जनता के जबर्दस्त दबाव में है और उसे पाकिस्तान पर लगातार दबाव देते हुए दिखना होगा। और मनमोहन सरकार इस मोर्चे पर किसी कीमत पर बीजेपी से पिछड़ना नहीं चाहती, और वो भरसक कोशिश करेगी की पाकिस्तान की तरफ कठोर दिखे ताकि इसका फायदा वो आनेवाले लोकसभा चुनाव में उटा सके। अगर भारत सरकार पाकिस्तान से एक भी आतंकवादी को वापस लाने में कामयाब हो गई तो ये सरकार के लिए बड़ा तुरुप का इक्का साबित होगा।
2 comments:
पाकिस्तान पर भारत का दबाव कब था जो चुनाव के कारण धीमी पड़ गई?
cmprashad ji..पाकिस्तान पर भारत का दबाव नहीं है ये कहना अपने आप में अनुचित है। अगर लोग ये समझते हैं कि भारत को सीधा हमला बोल देना चाहिए तो ये बड़ी नासमझदारी होगी। एक एटमी मुल्क से सीधी लड़ाई बेवकूफी के सिवा कुछ नहीं...अब हम पहले अपने घर के छेदों को भरें तभी आतंकवाद के खिलाफ कुछ किया जा सकता है।सिर्फ पाकिस्तान को गाली देकर कुछ नहीं किया जा सकता। अगर हमारी खुफिया व्यवस्था कमजोर है और कानून नरम है तो पाकिस्तान को जिम्मेवार ठहहाने का कोई मतलब है?लेकिन हां, अभी के हालात में भारत सरकार पाकिस्तान पर दबाव नहीं दे रही..ये कहना गलत है। नहीं तो पाकिस्तान इतनी भी कार्रवाई नहीं करता जितना करता दिख रहा है। हमें व्यावहारिक जमीन पर उतरना चाहिए और चांद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
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