हाल ही में मैं कुछ दिनों की भोपाल यात्रा पर था। इससे पहले भोपाल की सिर्फ क़िताबी जानकारी थी या कुछ दूसरों के मुंह से सुनी हुई। भोपाल का जिक्र आते ही यूनियन कार्बाइड और सूरमा भोपाली की याद आती थी। लेकिन भोपाल इससे भी कुछ अलग दिखा-कुछ प्यारा सा, कुछ ज्यादा ही तरक्की करता हुआ। मैं भोपाल में अविनाश जी के यहां रुका था, जो आजकल दैनिक भास्कर में हैं। अविनाश जी का फ्लैट अंसल लेक व्यू अपार्टमेट में है जो बड़ा तालाब के किनारे है। यहीं मुख्यमंत्री का आवास और राजभवन भी है।
भोपाल झीलों का शहर है, हरियाली से आच्छादित। मन करता था सारी हरियाली आंखों में समेट लूं। साफ सुथरी घुमावदार सड़के, शान्त और कम भीड़-भाड़वाली। भोपाल के लोगों का कहना है कि ट्रेफिक बढ़ गया है, लेकिन महानगरों की तुलना में अभी भी काफी सुकून है। बड़ा तालाब-जिसे झील भी कहा जाता है- शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाती है। इसके चारों ओर बनी सड़के आपको मुंबई के मैरीन ड्राइव से कम आनंद नहीं देती। यह तालाब कम से कम 10 किलोमीटर के दायरे से ज्यादा में ही है। शहर को पीने के पानी की सप्लाई इसी तालाब से होती है। इसके आलावा भी शहर में कई तालाब हैं। पिछले साल बारिश ने दगा दे दिया, इससे शहर में पीने के पानी की कमी हो गई है और लोग चिंतित हैं।
भोपाल की आबादी तकरीबन 20 लाख हो गई है, कहते हैं 80 के दशक तक महज 4 लाख थी। पुराने लोग भीड़भाड़ की शिकायत करते हैं। शहर में बीसियों इंजिनीयरिंग के कॉलेज खुल गए हैं, लेकिन मैदानी इलाकों से इतर शहर का क्षेत्रफल इतना बड़ा है, कि अभी भी खुला-खुला सा लगता है। इंडिया टुडे के सर्वे में पढ़ता था कि भोपाल सुविधाओं के लिहाज से बेहतर शहर है इसकी तसल्ली इस बार हो गई। मकानों के रेंट अभी भी कम हैं। पांच हजार में बड़ा सा मकान आपको अच्छे इलाके मे मिल जाएगा। और अगर इरादा ख़रीदने का है तो 7 लाख से लेकर 20 लाख तक में आराम से फ्लैट मिल जाएगा।
पुराने भोपाल में मुसलमानों की ख़ासी आबादी है, हिंदू-मुसलमानों के छत आपस में मिलते हैं। शहर में भाईचारा मौजूद है, आखिरी बार बाबरी मस्जिद विवाद के वक्त शहर में तनाव देखा गया था। भोपाल में पटिये की प्रथा है-इसे मैं वहां जाकर ही समझ पाया। पटिय़े का मतलब ये है कि राज को लोग घरों से निकलकर चौपाल की तरह काफी देर तक बातें करते रहते हैं। (जारी)...
भोपाल झीलों का शहर है, हरियाली से आच्छादित। मन करता था सारी हरियाली आंखों में समेट लूं। साफ सुथरी घुमावदार सड़के, शान्त और कम भीड़-भाड़वाली। भोपाल के लोगों का कहना है कि ट्रेफिक बढ़ गया है, लेकिन महानगरों की तुलना में अभी भी काफी सुकून है। बड़ा तालाब-जिसे झील भी कहा जाता है- शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाती है। इसके चारों ओर बनी सड़के आपको मुंबई के मैरीन ड्राइव से कम आनंद नहीं देती। यह तालाब कम से कम 10 किलोमीटर के दायरे से ज्यादा में ही है। शहर को पीने के पानी की सप्लाई इसी तालाब से होती है। इसके आलावा भी शहर में कई तालाब हैं। पिछले साल बारिश ने दगा दे दिया, इससे शहर में पीने के पानी की कमी हो गई है और लोग चिंतित हैं।
भोपाल की आबादी तकरीबन 20 लाख हो गई है, कहते हैं 80 के दशक तक महज 4 लाख थी। पुराने लोग भीड़भाड़ की शिकायत करते हैं। शहर में बीसियों इंजिनीयरिंग के कॉलेज खुल गए हैं, लेकिन मैदानी इलाकों से इतर शहर का क्षेत्रफल इतना बड़ा है, कि अभी भी खुला-खुला सा लगता है। इंडिया टुडे के सर्वे में पढ़ता था कि भोपाल सुविधाओं के लिहाज से बेहतर शहर है इसकी तसल्ली इस बार हो गई। मकानों के रेंट अभी भी कम हैं। पांच हजार में बड़ा सा मकान आपको अच्छे इलाके मे मिल जाएगा। और अगर इरादा ख़रीदने का है तो 7 लाख से लेकर 20 लाख तक में आराम से फ्लैट मिल जाएगा।
पुराने भोपाल में मुसलमानों की ख़ासी आबादी है, हिंदू-मुसलमानों के छत आपस में मिलते हैं। शहर में भाईचारा मौजूद है, आखिरी बार बाबरी मस्जिद विवाद के वक्त शहर में तनाव देखा गया था। भोपाल में पटिये की प्रथा है-इसे मैं वहां जाकर ही समझ पाया। पटिय़े का मतलब ये है कि राज को लोग घरों से निकलकर चौपाल की तरह काफी देर तक बातें करते रहते हैं। (जारी)...
4 comments:
भैये भोपाली बतोले देने भर से काम नहीं चलता । जिन पटियों की बात कर रहे हैं ,वो बचे भी हैं???? जिस तालाब को देख कर आप खुश हो रहे हैं , उसकी दुर्दशा देखकर हमें रोना आता है । चलिए अगले अंक का इंतज़ार करते हैं । ना जाने कौन सी नई जानकारी मिल जाए ,जिससे हम अबतक अंजान हैं ।
श्रीता जी, आपकी भावनाएं मैं समझता हूं, एक भोपाली होने के नाते आपकी चिंताएं उचित हैं कि भोपाल के तालों की हालत और पटियों की हालत खराब होती जा रही है। लेकिन एक बाहरी व्यक्ति होने के नाते तो मुझे भोपाल अद्भुत लगा-यकीन मानिए मैं जब भी किसी दूसरे शहर जाता हूं तो पटना से तुलना करता हूं। भोपाल की खूबसूरती और प्रशासन वाकई पटना से अच्छी है-इससे मैं इनकार नहीं कर पाता, कभी-कभी लेखन में ये बात असंतुलित रुप से झलक जाती है।
बड़ा तालाब और बड़ी झील अलग-अलग है सुशांतजी।
दरअसल मैं लोगों के मुंह से बड़ा तालाब और झील को इतनी बार समानार्थी प्रयोग में देखता था कि मुझे लगा दोनों एक ही होगा। चलिए जानकारी दुरुस्त करने के लिए आपको शुक्रिया करते हैं।
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