Friday, August 8, 2008

शर्म तो करो मुफ्ती...

जम्मू-कश्मीर में मौजूदा आग मुफ्ती मोहम्मद सईद ने लगाई है। गौरतलब है कि ये वहीं मुफ्ती है जिसने पिछले दिनों पीडीपी-कांग्रेस की सरकार इस बात पर गिरा दी थी कि सरकार ने अमरनाथ यात्रियों के सुविधाओं के लिए 40 हेक्टेयर यानी तकरीबन100 एकड़ जमीन अमरनाथ श्राईन बोर्ड को क्यों बेच दी। मजे की बात ये कि उस सरकार में मुफ्ती मोहम्मद सईद की पार्टी यानी पीडीपी भी शामिल थी और पीडीपी के मंत्री ने भी उस फैसले पर दस्तखत कये थे। लेकिन जब मुफ्ती ने देखा कि घाटी के कट्टरपंथी मुसलमान इस बात का विरोध कर रहे हैं तो आनन-फानन में अपना सुर बदल लिया। उसके बाद तो मुफ्ती और उनकी बेटी ने सारी सीमा ही पार कर दी। आप उनके बयानों को आतंकवादियों के बयानों से मिलाकर देखिये...थोड़ा नरम आंतकवादी ही दिखेंगे।

मुफ्ती को ये गवारा नहीं कि 100 एकड़ जमीन हिंदुओं के नाम की जाए। और इसे कश्मीरियत की हिफाजत का नाम दिया जा रहा है।एक दफा 90 के दशक के शुरुआत में भी कश्मीरियत की नई परिभाषा पंडितो को भगाकर लिखी गई थी। अब ये कश्मीरियत-2 है, जिसे दुनिया भर में बेचने की कोशिश की जा रही है। मजे की बात ये है कि खुद को अपेक्षाकृत सेकुलर कहनेवाली नेशनल कांफ्रेस भी इस बहती गंगा में हाथ धोना चाहती है। संसद में विश्वासमत के वक्त भाषण देते हुए यूं तो नेशनल कांफ्रेन्स के सदर उमर अब्दुल्ला के भावप्रणव भाषण की काफी तारीफ हुई, लेकिन उमर भी बोल रहे थे कि हम 'अपनी' जमीन के लिए लड़े।पता नहीं उनके 'अपनी' का क्या मतलब है।

दूसरी तरफ बात करें बात करें मुफ्ती की, तो मुफ्ती का इतिहास ही ऐसे कामों से भरा पड़ा है। मुफ्ती को कश्मीरियत का नाम लेते हुए तनिक भी शर्म नहीं आई-विशेषकर तब जब वो खुद बिहार के कटिहार से जीत कर संसद पहुंचे थे। मुफ्ती तो शक्ल से उदारपंथी दिखते हैं लेकिन उस चोले के पीछे एक कट्टर मौलाना छुपा हुआ है। याद कीजिए-मुफ्ती जब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे तब उन्होने पाकिस्तानी मुद्रा चलाने की मांग की थी। उस समय लगा कि यह आदमी दोनों देशों के बीच दोस्ती बढ़ाना चाहता है। बाद में उन्होने अातंकवादियों को छोड़ने में कुछ ज्यादा ही उदारता दिखा दी। अब तो ये भी शक होता है कि बीपी सिंह सरकार के समय उनकी बेटी का अपहरण कहीं नाटक तो नहीं था..?

बुधवार को जब प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक बुलाई तो महबूबा ने क्या कहा जानते हैं आप ? महबूबा ने कहा कि अगर जम्मू हाईवे नहीं खोला गया तो हमें पाकिस्तान से सहायता लेने में कोई गुरेज नहीं। सब जानते हैं कि भारत सरकार प्राणपण से इस समस्या को सुलझाने में लगी हुई है और एक ऑल पार्टी डेलिगेशन भी शनिवार को जम्मू जानेवाला है। लेकिन मुफ्ती और उनकी बेटी को लगता है कि इसबार की जंग मानो कश्मीर की आजादी की ही जंग है।

उधर फारुख साहब भी कम नहीं। उनका कहना है कि अगर जम्मू में हिंदुओं ने आन्दोलन बंद नहीं किया तो वे अपने अब्बा जान की कब्र पर जा कर पूछेंगे कि क्या 1948 में उनका भारत के साथ रहने का फैसला सही था...??

लेकिन इस तमाम खेल में जो पार्टी सबसे फायदे में दिखती है वो बीजेपी है। बीजेपी को उम्मीद है कि इसका चुनावी लाभ उसे जरुर मिलेगा। और शायद संघ परिवार ये मान रहा है कि पिछले दो दशक में ऐसा पहली बार हुआ है कि अयोध्या आन्दोलन के बाद हिंदुओं ने किसी मुद्दे पर इतने आक्रामक ढ़ंग से एकजुटता दिखाई है। लेकिन इससे मुफ्ती को क्या फर्क पड़ता है?

4 comments:

Nitish Raj said...

इनको कब और किसी ने शर्म से दो चार होते देखा है कभी। शायद नहीं। इन के साथ कुछ औरों को भी शर्म करनी चाहिए।

Unknown said...

जिस तरह आपने मुफ््ती साहब और उनकी बेटी के बारे में लिखा है...वो कम है...दरअसल ये वो लोग हैं जो चाहते हैं कि कश््मीर की समस््या का कभी समाधान ही न हो...इसी तरह हर एक दिन एक नया विवाद जन््म लेते रहे और ये अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते रहें....और जिस फारूक अब््दुल््ला ने कहा कि --- 1948 में उनका भारत के साथ रहने का फैसला सही था...??---उनसे मैं कहना चाहूंगा कि जब कश््मीर जल रहा था तो ये अपने परिवार के साथ लंदन में जाकर बैठ गये थे...और साथ ही इन सबसे ये भी कहना चाहूंगा कि अगर पाकिस््तान से इतनी मुहब््बत तो आज चले जायेंं.....पर कश््मीर कोई इन लोगों की जागीर नहीं हैं...से कोई किसी स््टेट के भाग््यविधाता नहीं है.....ये सिर््फ पाकिस््तान का हौवा खड़ाकर अपनी राजनीतिक रोटी सेकते रहना चाहते हैं...और साथ ही कांग््रेस हर समय इन््हें जमीन मुहैयै करा देती है.....

दीपान्शु गोयल said...

बहुत बढिया लिखा है । मै तो कई दिनों से जम्मू पर आपके लेख का इंतजार कर रहा था। बाकई स्थिति चिन्ताजनक है कि देश में देश के विरोधियों को पनाह दी जा रही है और हाथ में तिरगां लेकर चल रहे लोगों पर गोलियां चलाई जा रही हैं।

Unknown said...

Darasal dunia bhar ke musalmano kee
algawbadi mansikta ka beej KURAAN
me chhipa hai.jiske nirdesanusar dunia sirf do bhago me batee hai.ek-DARULHARB &dusra DARULISLAM
RASTRBAD ke lie wahan koi jagah nahi hai.Hame Kasmir ka hal usi prakar khojna hoga jase ROOSE ne CHEGHENYA ka khoja hai. Sushant achha bisleshan karte hai,asha hai
aage tarakkee karenge.