Sunday, February 1, 2009

नीतीश बने पॉलिटिक्स के स्लमडॉग


नीतीश कुमार को सीएनएन-आईबीएन ने पालिटिशियन आफ द ईयर का अवार्ड दिया है। कुछ ही दिन पहले बिहार सरकार को बेहतरीन ई-गवर्नेंस के लिए चुना गया। भारत सरकार ने भी प्राथमिक शिक्षा में उल्लेखनीय सुधार के लिए बिहार सरकार की तारीफ की थी। उससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास मंत्री भी बिहार सरकार की ताऱीफ कर चुके हैं। जाहिर है नीतीश कुमार के कामकाज की तारीफ करनेवालों में उनके राजनीतिक विरोधी भी कोताही नहीं बरत रहे हैं। ये बात अलग है कि प्रचार के विभिन्न मंचों पर ये खबरें बहुत जगह नहीं बना पाईं है।

नीतीश कुमार को पालिटिशियन आफ द ईयर अवार्ड में शीला दीक्षित से काफी कड़ी टक्कड़ झेलनी पड़ी। लेकिन नीतीश के इन उपलव्धियों को कुछ लोग कई नजरिये से देखते हैं। बिहार जैसे सूबे में जहां विकास के काम कभी ढ़ंग से हुए ही नहीं, ऐसे जगह पर कुछ भी थोड़ा काम किसी नेता को काफी आगे बढ़ा सकता है-इसमें कोई शक नहीं। लेकिन दूसरी तरफ इसका एक सकारात्मक पक्ष ये भी है कि बिहार जैसे कार्य संस्कृति विहीन सूबे को पटरी पर लाना भी कोई आसान काम नहीं है, और इसमें नीतीश को सफलता मिलती नजर आ रही है।

एक बात तो तय है कि बिहार में अब विकास राजनीति के एजेंडे में शामिल हो गया है। लालू यादव हों या रामविलास पासवान सभी विकास को अपना एजेंडा बना रहे हैं। हलांकि ये कहना अभी भी जल्दबाजी है कि ये विकास, वोट में कितना तब्दील हो पाएगा। फिलहाल बिहार में किसी भी दल के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी का फैक्टर नहीं है। नीतीश के लिए ये बात तो सूकून की है ही, लालू यादव के प्रति भी लोगों का पुराना आक्रोश कम हुआ है। ऐसे में सियासी पार्टियां अगले चुनावों में कोई बड़ा फैक्टर नहीं रहेंगी-हां, उम्मीदवारों का बेहतर चयन जरुर चुनाव परिणामों को प्रभावित करेगा। फिलहाल तो नीतीश कुमार के लिए अवार्डों की बरसात जरुर सुकून देनेवाली है।

4 comments:

अनुनाद सिंह said...

बहुत खुशी की बात है कि बिहार को नितीश जैसा मुख्यमंत्री मिला जिसने बिहार के बारे में सबकी सोच को बदल दिया।

नितीश जी को बधाई, बिहारी भाइयों को भी बधाई!

Udan Tashtari said...

और मिलनायर तो पहले से ही थे. :)

नितीश जी को बधाई.

संगीता पुरी said...

नीतिशजी को बधाई.....बिहार के लिए अच्‍छी खबर है यह।

PD said...

यह खबर आज ही मेरे पापाजी मुझे फोन पर दे रहे थे..

नीतिश जी कि बात से मुझे अपने स्कूल कि एक बात याद हो आयी.. उसे भी सुनाता चलता हूँ.. मैं जब दसवीं में था तब मेरी कक्षा में और मेरे सेक्सन में ३५ विद्यार्थी थे.. जिसमे से २० या २२ बच्चों के पिता या माता एम.पी. या एम.एल.ए. थे.. उनमे एक नीतिश जी का पुत्र भी था.. वो इतनी सादगी से स्कूल आता था कि मुझे उस स्कूल में एडमिशन के ६-७ महीने बाद पता चला कि यह नीतिश का बेटा है.. नहीं तो बाकियों के ताम-झाम.. राम राम.. :)